कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास -10-Jul-2023
शीर्षक - कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास
गरीबी ने इस कदर बेबस हमें कर दिया,
एक दिन भी ना मिले मज़दूरी,
भूखे रहने को मजबूर कर दिया ।
बच्चों ने भी गुज़ारी बिना अन्न के रात,
कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास।।
कभी- कभी हालत इतने मजबूर हो जाते हैं
नहीं मिलता जब काम उदासी में खो जाते हैं।
भूखे पेट सो जाता परिवार पर भीख नहीं मांगते हैं,
जब बच्चों ने फिर गुज़ारी बिना अन्न के रात,
कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास।।
समय-चक्र आजतक कोई समझ नहीं पाया,,
करते जो मेहनत दिन रात उन्हें मेहनताना कहाँ पूरा मिल पाया ।
दो वक्त का भोजन जुटाना हो गया मुश्किल
बच्चों ने भी फिर गुज़ारी बिना अन्न के रात,
कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास।।
काश! हो जाए ऐसा सबको मिले भोजन भरपेट ,
ना हो परिवार उदास ना सोएं कोई भूखा पेट।
भगवान कर दो करिश्मा ऐसा सबके बच्चों पर आज
वरना बिना भोजन बच्चों ने फिर गुज़ारी बिना अन्न के रात,
कई दिनों तक चूल्हा रोया चक्की रही उदास।।
शाहाना परवीन "शान"...✍️
मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)
प्रतियोगिता- आधे अधूरे मिसरे/प्रसिद्ध पंक्तियाँ
दिनांक: 10/07/2023
शाहाना परवीन "शान"...✍️
Shashank मणि Yadava 'सनम'
29-Jul-2023 03:57 PM
सुन्दर सृजन
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Gunjan Kamal
14-Jul-2023 11:18 AM
बहुत खूब
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
10-Jul-2023 03:29 PM
👏👌
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